फ़िल्म का सार
रविकांत एक अमीर आदंमी है। उसका बेटा, हर्षवर्धन एक सामाजिक सम्मलेन में एक लड़की चारुशीला से मिलता है। चारु और हर्षवर्धन के पिता एक ही गांव से हैं। हर्ष गाँव के लोगों की भलाई के लिए गांव को गोद ले लेता है। गांव के गुंडे शशि को यह बात अच्छी नहीं लगती और वह हर्षवर्धन से लड़ाई करता है। आगे की कहानी में बताया गया है की कैसे हर्ष लोगों का दिल जीतता है और शशि के मंसूबों को नाकाम करता है।