यह फिल्म औरतों के हक़ और उनके शशक्तिकरण पर बनी एक कहानी है। फिल्म में चार औरतें उनकी ज़िंदगी में आये मर्दों के अत्याचारों का सामना करती हैं। वे उनके खिलाफ आवाज उठाती हैं और न्याय की मांग करती हैं। क्या हमारे समाज की औरतों को हमेशा की तरह आगे भी अपने हक़ के लिए लड़ाई ही लड़ना पड़ेगी?

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