विजय के पिता अश्विनी एक ईमानदार पुलिस अफसर हैं। एक दिन कुछ गुंडे विजय को किडनैप कर लेते हैं और उसके बदले में अपने कुछ साथियों को छुड़ाने की मांग करते हैं। अश्विनी को विजय के किडनैप होने का पता नहीं होता है। वह गुंडों के साथियों को रिहा करने से इंकार कर देता है। विजय इस बात को जान कर अपने पिता से नफरत करने लगता है।

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