ग़ाज़ियाबाद में दो दबंगो के गुट अपना स्वामित्व बनाने के लिए एक दूसरे की जान ले रहे हैं। फ़िल्म की कहानी प्यार नफरत और आपसी रंजिश से भरपूर है। पुलिस रोकने की काफी कोशिश कर रही है लेकिन कामयाव नहीं हो पा रही है। क्या ग़ाज़ियाबाद को गुंडों से कभी भी छुटकारा नहीं मिल पायेगा?

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